Friday, February 20, 2009

अलविदा !

साथ हमारा इतना ही, बस अब अलविदा !
ऐसा ही होता है, मिलने के बाद एक दिन होना पड़ता है जुदा !
और मेरे साथ ये अक्सर होता है.
जो मेरे करीब होता है उसे मुझसे छीन कर हँसता है खुदा.
पर तुम्हे कर सके
मुझसे कोई जुदा, अज्म नही इतना जमाने में,
क्योंकि तुम तो रूह की गहराइयों में बसी हो,
और
सदिया
लगेंगी वहां से तुम्हारा अक्स मिटाने में

2 comments:

  1. Awesom. iske alava koi shabd he nahi mila likhne ko.Maza aa gaya padhkar.....too gud....

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